मुंबई:अभिनेत्री तब्बू का कहना है कि उन्हें पर्दे पर मजबूत महिला भूमिकाओं को निभाने में मजा आता है लेकिन वह महिला केंद्रित फिल्मों तक ही खुद को सीमित रखना नहीं चाहतीं। उन्हें लगता है कि एक पूरी फिल्म की जिम्मेदारी उनके रचनात्मक मन को प्रभावित कर सकती है, इसलिए वह करियर के इस बिंदु पर विकल्पों को लेकर सतर्क हैं।यह पूछे जाने पर कि भारतीय सिनेमा में महिला-केंद्रित फिल्मों में नए युग की कहानी बदल रही है, हाल के दिनों में वह ऐसी फिल्मों का हिस्सा क्यों नहीं हैं? इस पर तब्बू ने कहा, फिल्मों में काम करने का निर्णय पहले की तरह ब्लैक ऐंड वाइट नहीं है। उन्होंने कहा, अपने करियर की शुरुआत में मैंने कई फिल्मों में काम किया, जब महिला-केंद्रित फिल्मों का टैग नहीं था। मैंने ऐसी फिल्में चुनीं, जिनमें किरदार महत्वपूर्ण था।
उन्होंने कहा, अब, अगर निर्माता और निर्देशक महिला-केंद्रित फॉर्म्युले के साथ मेरे पास आ रहे हैं। मेरे कंधों पर फिल्म की जिम्मेदारी डालने के विचार से तो मैं इसमें फंसना नहीं चाहती। साल 1980 की फिल्म बाजार में एक छोटी सी भूमिका के साथ करियर की शुरुआत करने वाली तब्बू देवआनंद की फिल्म हम नौजवान में भी काम कर चुकी हैं। वह विजयपथ, माचिस, कालापानी, बॉर्डर, चांदनी बार, मकबूल, हैदर और फितूर जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। वर्ष 2011 में उन्हें छह राष्ट्रीय पुरस्कार और पद्मश्री सम्मान भी मिल चुके हैं।
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