हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले के ताबो गांव की पहली इंजीनियर बेटी

चन्द्रकान्त पाराशर (वरिष्ठ एसोसिएट एडिटर) 

सर्दी के दिनों में अक्सर 20 से 25 माईंनस डिग्री के तापमान से घिरा रहने वाला ताबों गांव हि0प्र0 के दो जनजातीय जिलों किन्नौर व लाहुल-स्पीति के बार्डर पर स्थित है, यह गांव समुद्र तल से लगभग 3000 मी0 की ऊंचाई पर विश्व प्रसिद्ध  बौद्ध मठ ताबो गोम्पा के इर्द-गिर्द बसा हुआ है । लगभग 65 घरों के इस छोटे से ताबो गांव में लगभग 700 मूल निवासी व लगभग 300 बाहरी नौकरी पेशा लोग जीवन-यापन करते हैं । इन्हीं में से एक मि0 सोनम राॅबगेई की बिटिया सोनम छोडोन बी0टेक;सिविलद्ध का अध्ययन करने वाली गांव की पहली बेटी है । बकौल सोनम छोड़ोन – उसने प्रसिद्ध ताबो मठ द्वारा संचालित सरकांग पब्लिक स्कूल ताबो में दसवीं तक शिक्षा ग्रहण करने के उपरान्त गर्वमेन्ट पाॅलिटेक्निक हमीरपुर से डिप्लोमा;सिविलद्ध उत्तीर्ण किया और अब राजीव गांधी गर्वमेन्ट इंजीनियनिंग काॅलेज नगरोटा बगवां कांगडा हि0प्र0 से बी-टेक(सिविल) में अध्ययनरत ताबो गांव की पहली व एकमात्र लडकी है ।

हिमाचल प्रदेश के दूर-दराज क्षेत्र में जनजातीय इलाकों में स्थित ग्रामीण परिवेश के निवासी शिक्षा के प्रति उदासीन रवैया रखते हैं, ऐसा कहते हुए सोनम छोडोन ने आगे बताया कि यहां शिक्षा ग्रहण करने वालों में लड़कियां ज्यादा हैं और लड़के अक्सर खेती-बाड़ी, बागवानी आदि कार्यों को करना ही पसन्द करते हैं और आजकल के आधुनिक बच्चे पढ़ने-लिखने की गतिवधियांे में पहले की अपेक्षा अधिक आगे जा रहे हैं । इनके पिता श्री सोनम राॅबगेई के अनुसार गांवों विशेषकर जनजातीय बहुल क्षेत्रों में शिक्षा-दीक्षा की सुविधाओं का अक्सर अभाव रहने के कारण यहां के वासी अपने परिवार व गांवों की चार-दीवारी में ही रहकर स्थानीय परम्पराओं -रीति-रिवाजों का निर्वाह करते हुए जीवन-यापन करना अधिक पसन्द करते हैं ।

सोनम ने गर्व से यह भी बताया कि मेरे पिता जी भारतीय पुरातत्व विभाग के अंतर्गत ताबों मठ में ही पदस्थ है और उन्हीं की प्रेरणा व प्रोत्साहन से मैं आज उच्च अध्ययन कर पा रही हूं । ताबो गांव की प्रधान श्रीमति देचेन आंगमो के अनुसार इस गांव की बेटी सोनम छोड़ोन ने हम सबको गौरवान्वित महसूस कराया है इससे प्रेरणा लेकर गांव की और बेटियां भी उच्च शिक्षा को प्राप्त कर इंजीनियर/डाॅक्टर आदि बनकर अपने परिवार व इस गांव का नाम रोशन     करेंगी । इस गांव में बेटे या बेटी में कोई अंतर नहीं माना जाता अर्थात् ईश्वर प्रदत्त संतान में किसी भी प्रकार का लिंग भेद नहीं किया जाता, दोनों की परवरिश एक समान ही की जाती हैं ।

आज निसंदेह बेटियां समाज की अमूल्य धरोहर है । कहा भी जाता है कि जिस घर में लड़कियां होती है उस घर में देवताओं का वास होता है । प्रत्येक कन्या मां, बहन, स्त्री व बेटी भी होती है । इनके प्रति सम्मान व आत्मीय दृष्टिकोण रख कर ही समाज व देश प्रगति पथ पर प्रगाढ़ गति से निरन्तर अग्रसर हो पाता    है ।

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